विवाह (Marriage)

विवाह (marriage) विवाह एक सार्वभौमिक एवं अनिवार्य संस्था है , जो प्रत्येक समाज में विभिन्न संस्कारों एवं कर्मकाण्डों द्वारा संपन्न किया जाता है | यह स्त्री एवं पुरुष को यौन संबंध स्थापित करने एवं बच्चों को जन्म की सामाजिक वैधता प्रदान करता है | विवाह पुरुष एवं स्त्री की प्रस्थिति (Status) को परिवर्तित कर उन्हें … Read more

सामाजिक समूह (Social Group)

सामाजिक समूह मनुष्य का जीवन वास्तव में सामूहिक जीवन है | मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहने का तात्पर्य भी यही है कि वह समूह में रहता है | प्रत्येक व्यक्ति का जन्म समूह में ही होता है एवं समूह के माध्यम से ही वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति एवं पूर्ति करने के तरीके को सीखता … Read more

समुदाय| समिति| संस्था (Community| Association| Institution in hindi)

समुदाय (Community) किसे कहते हैं? समुदाय का तात्पर्य व्यक्तियों के ऐसे समूह से है ,जो किसी निश्चित भू-क्षेत्र में रहते हैं तथा सभी व्यक्ति आर्थिक एवं राजनैतिक क्रियाओं में एक साथ भाग लेते हैं एवं एक स्वायत्त इकाई का निर्माण करते हैं | समुदाय का एक साझा मूल्य होता है जिससे वे एक दूसरे से … Read more

समाज (Society)अर्थ, परिभाषा, प्रकार

समाज

समाज अर्थ, परिभाषा, प्रकार साधारण अर्थ में समाज का तात्पर्य व्यक्तियों के समूह के लिए किया जाता है | लेकिन समाजशास्त्रीय अर्थों में व्यक्तियों के बीच जो सामाजिक संबंध पाए जाते हैं ,उसी को समाज कहते हैं | प्रश्न उठता है सामाजिक संबंध किसे कहते हैं ? जब दो व्यक्ति आपस में मिलते हैं तो … Read more

समाजशास्त्र में अध्ययन पद्धति
(Study methods in Sociology)

Adhyayan Paddhati

समाजशास्त्र में अध्ययन पद्धति का उद्देश्य सामाजिक प्रघटना (Phenomenon) का यथार्थवादी अध्ययन है ,जो व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर न कर प्रक्रिया पर निर्भर करता है | चूँकि सामाजिक घटना प्राकृतिक घटना की तुलना में अत्यधिक जटिल एवं बहुपक्षीय होती है| अतः किसी भी शोधकर्ता के लिए एक साथ सभी पक्षों का अध्ययन करना संभव नहीं … Read more

समाजशास्त्र की प्रकृति|Samajshastra ki prakriti|(Nature of Sociology in hindi)

समाजशास्त्र की प्रकृति|Samajshastra ki prakriti| जब हम किसी विषय के प्रकृति की चर्चा करते हैं तो यह देखते हैं कि वह विषय विज्ञान है या नहीं | समाजशास्त्र की प्रकृति के अंतर्गत हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि समाजशास्त्र किस सीमा तक विज्ञान है | समाजशास्त्र के विज्ञान होने के समर्थन में जॉनसन कहते … Read more

समाजशास्त्र एवं अन्य सामाजिक विज्ञान
(Sociology and other social science)

समाजशास्त्र एवं अन्य सामाजिक विज्ञान में संबंध एवं भिन्नता से यह स्पष्ट हो जाता है कि समाजशास्त्रीय अध्ययन का केंद्र बिंदु क्या है ? समाजशास्त्रीय ज्ञान अन्य सामाजिक विज्ञान से किस तरह बौद्धिक विषय के रूप में विशिष्ट एवं अलग है | समाजशास्त्र अन्य सामाजिक विज्ञानों को समीप लाने का कार्य भी करता है | … Read more

Subject matter and Scope of Sociology in hindi |समाजशास्त्र की विषय वस्तु एवं अध्ययन क्षेत्र

Difference between Subject matter and Scope of Sociology| समाजशास्त्र की विषय वस्तु एवं अध्ययन क्षेत्र में अंतर समाजशास्त्र की विषयवस्तु का तात्पर्य उन निश्चित विषयों से है ,जिसका अध्ययन समाजशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है, जैसे – सामाजिक संबंध, विचलन, एकीकरण आदि का अध्ययन समाजशास्त्र की विषय वस्तु है जबकि अध्ययन क्षेत्र का तात्पर्य उन … Read more

समाजशास्त्र की विषय-वस्तु| Subject Matter of Sociology in Hindi

अधिकांश विद्वान समाजशास्त्र की विषय-वस्तु के अन्तर्गत सामाजिक प्रक्रियाओं ,सामाजिक संस्थाओं ,सामाजिक नियंत्रण एवं परिवर्तन को शामिल करते हैं | विभिन्न विद्वानों के मत निम्नलिखित हैं | दुर्खीम के विचार (Views of Durkheim) दुर्खीम ने विषय-वस्तु को निम्न तीन भागों में विभाजित किया- (1) सामाजिक स्वरूपशास्त्र (Social Morphology) – इसके अन्तर्गत सामाजिक संरचना एवं स्वरूपों … Read more

समाजशास्त्र का विकास (Development of sociology in hindi )

समाजशास्त्र का विकास

समाजशास्त्र की उत्पत्ति भले ही यूरोप में हुई है, लेकिन समाजशास्त्र का विकास सबसे अधिक अमेरिका में हुआ है | सबसे पहले विषय के रूप में यह अमेरिका के येल विश्व विद्यालय में पढ़ाया गया | भारत के विभिन्न समाजशास्त्रियों ने समाज को समझने के लिए अपने अवधारणाओं एवं सिद्धांतों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान … Read more

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