समाजशास्त्र का विकास (Development of sociology in hindi )


समाजशास्त्र की उत्पत्ति भले ही यूरोप में हुई है, लेकिन समाजशास्त्र का विकास सबसे अधिक अमेरिका में हुआ है | सबसे पहले विषय के रूप में यह अमेरिका के येल विश्व विद्यालय में पढ़ाया गया | भारत के विभिन्न समाजशास्त्रियों ने समाज को समझने के लिए अपने अवधारणाओं एवं सिद्धांतों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया है |

समाजशास्त्र के विकास में विभिन्न समाजशास्त्रियों का योगदान

समाजशास्त्र का विकास सबसे अधिक अमेरिका में हुआ | यद्यपि यूरोप के समाजशास्त्रियों का भी विशेष योगदान रहा है | समाजशास्त्र की प्रगति में विभिन्न समाजशास्त्रियों के योगदान को निम्नवत देखा जा सकता है |

  • अागस्त काम्टे ने अपनी पुस्तक पॉजिटिव फिलोसोफी (Positive Philosophy) में समाजशास्त्र शब्द का प्रतिपादन किया | उनके अनुसार समाजशास्त्र  का विज्ञान क्रमबद्ध अवलोकन एवं वर्गीकरण  पर आधारित होना चाहिए |
  • हरबर्ट स्पेन्सर ने अपनी पुस्तक प्रिंसिपल्स ऑफ सोशियोलॉजी (Principles of Sociology) में जैविकीय उद् विकास के सिद्धांत को मानवीय समाज पर लागू किया एवं सामाजिक उद् विकास के सिद्धांत को विकसित किया|
  • दुर्खीम ने अपनी पुस्तक द रूल्स ऑफ सोशियोलॉजिकल  मेथड (The Rules  Of Sociological  Method) के माध्यम से समाजशास्त्र में वैज्ञानिक पद्धति शास्त्र को प्रदर्शित किया जो उनके आत्महत्या सिद्धांत में दिखाई देता है |
  • कार्ल मार्क्स ने भी सामाजिक संरचना, वर्ग एवं सामाजिक परिवर्तन का विश्लेषण कर समाजशास्त्र विषय में विशेष योगदान दिया |

समाजशास्त्र का विकास: विभिन्न देशों का योगदान

  • समाजशास्त्र विषय का अध्ययन – अध्यापन कार्य सर्वप्रथम 1876 में अमेरिका के येेल विश्वविद्यालय (Yale University) में समनर  (Sumner) के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया |
  • समनर को ही समाजशास्त्र विषय का अकादमिक जनक माना जाता है |

फ्रांस में समाजशास्त्र विषय के अध्ययन की शुरुआत 1889 में बोर्डिक्स विश्वविद्यालय (Bordeaux University) में दुर्खीम के नेतृत्व में हुई दुर्खीम को समाजशास्त्र का प्रथम प्रोफ़ेसर माना जाता है |

1906 में ए. डब्ल्यू. स्माल (A. W. Small)  ने अमेरिकन समाजशास्त्रीय परिषद (American Sociological Society) की स्थापना की | लिस्टर एफ. वार्ड इसके प्रथम अध्यक्ष एवं स्माल पहले उपाध्यक्ष बने |

एशिया में समाजशास्त्र विषय के अध्ययन की शुरुआत सर्वप्रथम टोकियो विश्वविद्यालय (Tokyo University) में हुई |

भारत में समाजशास्त्र का विकास

  • भारत में समाजशास्त्र सन 1919 में आया |
  • भारत में समाजशास्त्र विषय के अध्ययन की शुरुअात 1919 में पैट्रिक गिड्स के नेतृत्व में बम्बई  विश्वविद्यालय (University of Bombay) में हुई | प्रारम्भ में इसे अर्थशास्त्र के साथ  ऐच्छिक विषय के रूप में जोड़ा गया था |
  • गिड्स के बाद बम्बई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग का उत्तरदायित्व प्रोफ़ेसर जी. एस. घुरिये (G. S. Ghuriye) को दिया गया |
  • घुरिये ने सन् 1952 में भारतीय समाजशास्त्रीय परिषद (Indian Sociological Society) की स्थापना की |
  • घुरिये को ही भारत में समाजशास्त्र का जनक  माना जाता है |
  • उत्तर प्रदेश में सन् 1921 में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना हुई, राधा  कमल मुकर्जी (R.K.Mukerjee) को इसका अध्यक्ष बनाया गया |
  • जे. के. इंस्टिट्यूट ऑफ सोशियोलॉजी एंड ह्यूमन रिलेशन (J. K. Institute of Sociology and Human Relation) की स्थापना 1948 में लखनऊ में हुई |
  • सन् 1958 में  मुकर्जी इस संस्था के डायरेक्टर बने |  बाद में डी.पी. मुकर्जी एवं डी. एन. मजुमदार भी समाजशास्त्र विभाग से जुड़ गए |

भारतीय समाजशास्त्रियों का समाजशास्त्र का विकास में योगदान

  • भारतीय समाजशास्त्र को पश्चिम के सिद्धांतों से दूर रखने का प्रथम प्रयास; डी. पी. मुकर्जी एवं विनय कुमार सरकार में देखा जा सकता है |
  • डी. पी. मुकर्जी के अनुसार भारतीय परम्पराएँ इतनी शक्तिशाली हैं कि इनका अध्ययन कर कहीं अधिक प्रभावी समाजशास्त्रीय सिद्धांत विकसित किया जा सकता है |
  • विनय कुमार सरकार के अनुसार पश्चिमी विचारकों ने हमेशा ही भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रति पक्षपातपूर्ण विश्लेषण किया है |
  • अनेक विद्वानों ने विनय कुमार सरकार को एक राष्ट्रवादी समाजशास्त्री से सम्बोधित किया है |
  • एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज को जाति पर आधारित मानते हुए इसका अध्ययन किया |
  • उन्होंने जाति सम्बंधित संस्कृतिकरण एवं लौकिकीकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट किया |
  • सच्चिदानंद सिन्हा ने अपनी पुस्तक “Harizan Elite” में एक नए वर्ग की विशेषताओं पर प्रकाश डाला |
  • यह वर्ग हरिजन जाति के भीतर का elite वर्ग है |
  • एम. एस. ए. राव ने उन आंदोलनों पर प्रकाश डाला; जो भारतीय समाज में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार थे |
  • प्रो. योगेंद्र सिंह ने अपनी पुस्तक “Modernization of Indian Tradition” में भारतीय परम्परा एवं आधुनिकता के समन्वय को दर्शाया है |
  • अपनी पुस्तक “The Man” में प्रो. सिंह ने मानव की अवधारणा को भारतीय सन्दर्भ में स्पष्ट किया |

Google Questions– समाजशास्त्र का विकास

समाजशास्त्र का विकास कैसे हुआ ?

समाजशास्त्र के विकास की शुरुआत 1876 से हुई, जब इसे अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में पढ़ना-पढ़ाना शुरू किया गया | इसके बाद फ्रांस के बोर्डिक्स विश्वविद्यालय में, टोकियो विश्वविद्यालय में, 1919 में भारत में बम्बई विश्वविद्यालय में शुरू हुआ | और आज भी यह विकास के पथ पर अग्रसर है |

भारत में समाजशास्त्र का विकास कैसे हुआ ?

भारत में समाजशास्त्र के विकास की शुरुआत 1919 से हुई | विभिन्न भारतीय समाजशास्त्रियों ने अवधारणाओं, सिद्दांतों का निर्माण कर इसके विकास में योगदान दिया है |

भारत में समाजशास्त्र का जनक किसे माना जाता है ?

प्रोफ़ेसर जी. एस. घुरिये को भारत में समाजशास्त्र का जनक माना जाता है | इन्होने ही भारतीय समाजशस्त्रीय परिषद की स्थापना की |

समाजशास्त्र भारत में सर्वप्रथम कब पढ़ाया गया ?

सन 1919 में बम्बई विश्वविद्यालय में |

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