सामाजिक परिवर्तन से सम्बन्धित विभिन्न अवधारणाएँ
(Concepts relating to Social Change)

[wbcr_php_snippet id=”362″] उद्विकास (Evolution) उद्विविकास का तात्पर्य समाज का धीमा, क्रमिक एवं एक निश्चित दिशा में होने वाला परिवर्तन है| यह एक आंतरिक परिवर्तन (Endogenous Change) होता है| इसे नियत परिवर्तन (Orthogenetic Change) भी कहते हैं| इसमें समाज क्रमशः एक अवस्था से दूसरे एवं दूसरे से तीसरे में परिवर्तित होता है, जैसे – जनजातीय समाज … Read more

सामाजिक परिवर्तन के कारक
(Factors of Social Change)

सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा, विशेषताएं एवं परिवर्तन  के लिए यहाँ क्लिक करें – सामाजिक परिवर्तन (Social Change) सामाजिक संरचना में प्रत्येक इकाई का यह प्रयास रहता है कि वह प्रदत्त प्रस्थिति से उपर आकर अर्जित स्थिति को प्राप्त करें| इस प्रयास में वह अपनी योग्यता एवं कुशलता का प्रदर्शन करता है, जिसके कारण वह अपने … Read more

सामाजिक परिवर्तन: विशेषताएँ, प्रकार | Social Change in hindi

सामाजिक परिवर्तन

सामाजिक परिवर्तन| samajik parivartan सामाजिक परिवर्तन का तात्पर्य सामाजिक संरचना में होने वाले परिवर्तन से है| चूँकि सामाजिक संरचना वर्तमान संबंधों का ताना-बाना है, अतः संबंधों में होने वाले परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं| सामाजिक संबंधों में यह परिवर्तन मित्रतापूर्ण से शत्रुतापूर्ण, अनौपचारिक से औपचारिक, प्राथमिक से द्वितीयक, स्थायी से अस्थायी, समानतापूर्ण से असमानतापूर्ण … Read more

Article 370 and 35-A of Jammu and Kashmir
(इतिहास, समस्या एवं समाधान)

[wbcr_php_snippet id=”362″] अनुच्छेद 370 जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है, जबकि अनुच्छेद 35-A वहां के निवासियों को संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरियों एवं अन्य सहूलियतों में विशेषाधिकार प्रदान करता है| इन विशेष प्रावधानों की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके लिए हम ऐतिहासिक घटनाक्रम को भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के लिए बनाए गए माउंटबेटेन … Read more

गाँव, कस्बा, नगर (Village, Town, City)

गाँव किसे कहते है – गाँव का एक निश्चित क्षेत्र होता है एवं इनके सदस्यों में हम कि भावना (We feeling) पायी जाती हैं| गाँव में परम्पराओं की प्रधानता होती है| तकनीक अधिक विकसित नहीं होती है तथा आधे से अधिक जनसंख्या जीविकोपार्जन के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर रहती है| … Read more

जाति एवं वर्ग (Caste and Class)

[wbcr_php_snippet id=”362″] जाति एक अंतःविवाही (Endogamous) समूह है, जिसकी अपनी उप-संस्कृति होती है | जहाँ वर्ग का आधार आर्थिक होता है , वहीं जाति का आधार सामाजिक सांस्कृतिक होता है | वर्ग एक अर्जित प्रस्थिति है जबकि जाति प्रदत्त स्थिति है | भारतीय सामाजिक संस्थाओं में जाति का महत्वपूर्ण स्थान है | पश्चिमी समाज में … Read more

प्रस्थिति एवं भूमिका (Status and Role)

[wbcr_php_snippet id=”362″] प्रस्थिति एवं भूमिका प्रस्थिति एवं भूमिका का विवेचन सर्वप्रथम रॉल्फ लिण्टन (Ralph Linton) ने अपनी पुस्तक दी स्टडी ऑफ मैन (1936) (The Study of Man) में किया| उनके अनुसार समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसे कोई प्रस्थिति न प्राप्त हो| समाजशास्त्रीय तथ्य इतना ही है कि उसकी प्रस्थिति निम्न या … Read more

मुस्लिम, ईसाई एवं जनजातीय परिवार
(Muslim, Christian and Tribal Family)

[wbcr_php_snippet id=”362″] मुस्लिम सामाजिक संगठन में सामान्यतः संयुक्त परिवार पाया जाता है| इसमें पुरुष या पिता की निर्णय में भूमिका होती है| स्त्रियों की प्रस्थिति अपेक्षाकृत कम या निम्न होती है| परिवार के सभी सदस्य भावनात्मक आधार पर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं| इस परिवार में धर्म एवं परम्पराओं की प्रधानता रहती है| मुस्लिम … Read more

भारत में मुस्लिम, जनजातीय एवं ईसाई विवाह (Muslim Christian and Tribal Marriage in India)

Muslim Christian and Tribal Marriage in India; मुस्लिम विवाह – मुस्लिम विवाह संस्कार नहीं वरन् एक दीवानी समझाैता है| जिसका उद्देश्य घर बसाना, संतानोत्पत्ति करना एवं उन्हें वैधता प्रदान करना है| मुल्ला ने लिखा है कि निकाह एक विशिष्ट समझौता है, जिसका उद्देश्य बच्चे उत्पन्न करना तथा उन्हें वैध घोषित करना है| अमीर अली (Amir … Read more

संयुक्त परिवार (Joint Family)

संयुक्त परिवार में सामान्यतः उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जो एक समान पूर्वजों की संतानें हों, इसमें कुछ विवाह संबंधी भी होते हैं| भारत में परिवार का तात्पर्य संयुक्त परिवार से ही है| आइ. पी. देसाई (I. P. Desai) ने नाभिकीय परिवार को विकलांग परिवार (Fractured Family) कहा है| के.एम.पनिक्कर (K. M. … Read more

error: