नगरीकरण (Urbanization)

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नगरीकरण का तात्पर्य नगरों के उद्भव, विकास, प्रसार एवं पुनर्गठन से है| जब एक स्थान पर उद्योग स्थापित हो जाता है, तो उस स्थान पर कार्य करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगती है तब वह स्थान धीरे-धीरे नगर के रूप में स्थापित हो जाता है| इसी प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं| इस तरह औद्योगीकरण एवं नगरीकरण साथ- साथ चलने वाली प्रक्रिया है|

किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) के अनुसार नगरीकरण एक निश्चित प्रक्रिया है, परिवर्तन का वह चक्र है जिससे कोई समाज कृषक से औद्योगिक समाज में परिवर्तित होता है|
नेल एण्डरसन के अनुसार नगरीय का अर्थ –

(1) लोगों का ग्रामीण क्षेत्र से शहरी निवास के क्षेत्र की ओर गति करना|

(2) इसका यह भी अर्थ है कि लोग कृषि के स्थान पर गैर-कृषि कार्यों को अपनाते हैं|

(3) लोग बिना किसी नगर में गमन किए भी अपने विचारों एवं व्यवहार में नगरीय हो सकते हैं|

(4) इस प्रकार नगरीकरण एक जीवन विधि है, जिसका प्रसार नगर से बाहर की ओर भी होता है|

अमेरिकी समाजशास्त्री लुइस वर्थ (Louis Wirth) के अनुसार नगरीकरण एक जीवन की शैली है|(Urbanism as a way of life)


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नगरीकरण की विशेषताएँ (Characteristics of Urbanization)

(1) नगरीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें गाँव नगर में परिवर्तित होता है|

(2) नगरीकरण की प्रक्रिया में लोग गैर-कृषि व्यवसाय को अपनाते हैं|

(3) नगरीकरण में एक स्थान पर लोगों का संकेन्द्रण बढ़ता जाता है|

(4) नगरीकरण में लोग गाँव से शहरों की तरफ जाकर बसने लगते हैं|

(5) नगरीकरण जीवन जीने की एक विधि है, जो शहर से गाँव की तरफ प्रसारित होता है|
इस तरह एक व्यक्ति गाँव में रहकर भी अपने व्यवहार, आचरण, दृष्टिकोण एवं मूल्यों से नगरीय हो सकता है|

नगरीकरण का समाज पर प्रभाव

(1) संयुक्त परिवार के स्थान पर नाभिकीय परिवार की संख्या में वृद्धि|

(2) संबंध अनौपचारिक से औपचारिक|

(3) महिलाओं की स्थिति में सुधार|

(4) जाति प्रथा एवं छुआछूत में कमी|

(5) कार्य के लिए सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि|

(6) धर्म, प्रथा, परम्परा आदि के प्रभाव में कमी|

(7) गन्दी बस्तियों की मात्रा में वृद्धि|

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नगरीकरण का जाति-प्रथा पर प्रभाव

(1) जाति संबंधी निषेधों में कमी|

(2) परम्परागत व्यवसाय के स्थान पर योग्यता पर आधारित व्यवसाय|

(3) अंतर्जातीय विवाह का प्रचलन|

(4) जाति व्यवस्था के स्थान पर वर्ग व्यवस्था का उदय|

नगरीकरण का पारिवारिक जीवन पर प्रभाव

(1) परिवार का आकार सीमित हो गया है|

(2) परिवार के कार्यों में परिवर्तन| जहाँ परम्परागत समाज में परिवार उत्पादन की इकाई था, वहीं नगरों में यह उपभोग की इकाई हो गया है|

(3) नाभिकीय परिवारों की संख्या में वृद्धि|

(4) पारिवारिक संबंधों में अनौपचारिकता की जगह औपचारिकता का महत्त्व अधिक|

वस्तुतः देखा जाए तो नगरीकरण एवं औद्योगीकरण साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है, जिससे भारत में अनेक राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए हैं| राजनीति क्षेत्र में पहले की अपेक्षा सहभागिता बढ़ी है| महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है तथा अधिकारों की माँग उठने लगी है| सामाजिक जीवन में छुआछूत, जाति व्यवस्था की कठोरता में बहुत हद तक कमी आई है| सांस्कृतिक जीवन में देखें तो अत्यधिक व्यस्तता के कारण मां-बाप अपने बच्चों को उचित-अनुचित की शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, जिससे जनरेशन गैप सामने आ रहा है| आर्थिक क्षेत्र में जहाँ उत्पादन की इकाई परिवार थी, अब फैक्ट्री में उत्पादन हो रहा है| पहले जहाँ उपभोग के लिए उत्पादन होता था, वहीं अब लाभ के लिए उत्पादन होने लगा है|

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