साम्प्रदायिकता क्या है –
सांप्रदायिकता एक विचारधारा या निष्ठा है| यह निष्ठा अपने समूह (विशेष रूप से धार्मिक समूह) को दूसरे समूह से श्रेष्ठ मानती है एवं अन्य समूह से अलग एवं विरोध करने की प्रेरणा देती है| परिणाम स्वरूप उग्र-व्यवहार एवं हिंसा प्रारम्भ हो जाता है|
सांप्रदायिकता का उद्भव उसी भावना से हो जाता है जब अपने समुदाय को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया जाता है| इससे अन्य समुदाय स्वयं ही निम्न हो जाते हैं| ऐसी स्थिति में दो समुदायों के बीच धार्मिक संघर्ष जन्म ले लेता है|
स्मिथ के अनुसार सांप्रदायिक व्यक्ति अथवा समूह वह है जो अपने धार्मिक या भाषा-भाषी समूह को एक ऐसी पृथक राजनीतिक तथा सामाजिक इकाई के रूप में देखता है, जिसके हित अन्य समूहों से पृथक होते हैं और अक्सर उनके विरोधी भी हो सकते हैं|
सांप्रदायिकता की विशेषतायें (Characteristics of Communalism) –
(1) अपने धर्म या समूह को सर्वश्रेष्ठ मानना|
(2) अन्य धर्म या संस्कृति उपेक्षा करना|
(3) अन्य समूहों से अलगाव की भावना रखना|
(4) अन्य समूहों के साथ अनुकूलन का अभाव|
(5) धार्मिक कट्टरता|
(6) अन्य समूहों से संघर्ष की प्रवृत्ति|
सांप्रदायिकता के कारण (Causes of Communalism) –
(1) मनोवैज्ञानिक कारण –
अल्पसंख्यक जनसंख्या को हमेशा यह भय रहता है कि बहुसंख्यक जनसंख्या उनका शोषण कर सकता है, ऐसे में अल्पसंख्यक जनसंख्या उग्र होने का प्रयास करती है|
(2) फूट डालो और राज करो की नीति –
अंग्रेजों ने भारत में हिंदू एवं मुसलमान के बीच धार्मिक दीवार घड़ी कर समस्या ग्रस्त का दिया| जिसका नकारात्मक परिणाम पाकिस्तान के रूप में सामने आया| आज भी दोनों धर्मो की समस्या बनी हुई है|
(3) सांस्कृतिक भिन्नता –
विभिन्न धार्मिक समूहों के बीज सांस्कृतिक भिन्नता भी एक दूसरे से अलग करती है, जिससे प्रत्येक समूह अपने समूह की पहचान स्थापित करने के लिए अधिक संवेदनशील रहता है|
(4) सांप्रदायिक संगठन –
विभिन्न धार्मिक संगठनों के निर्माण ने एक धर्म को दूसरे से अलग करने का कार्य किया है, दो धर्मो के बीच प्रत्यक्ष संघर्ष भी इन्हीं संगठनों के संकीर्ण मानसिकता के कारण होता है|
(5) धार्मिक कारण –
प्रत्येक धर्म के कर्मकाण्ड, विश्वास, आचरण आदि में भिन्नता पायी जाती है तथा प्रत्येक धर्म अपने को अन्य धर्मों से भिन्न रखने का प्रयास करता है| यही भावना धीरे-धीरे सांप्रदायिकता को जन्म देती है|
(6) असामाजिक तत्त्व –
कुछ असामाजिक तत्त्व भड़काऊ भाषण या संघर्ष के लिए उकसाने का कार्य करते हैं, जिससे सांप्रदायिकता का जन्म होता है|
सांप्रदायिकता के दुष्परिणाम –
(1) राष्ट्रीय एकता में बाधक|
(2) विभिन्न धर्मों के बीच असुरक्षा की भावना|
(3) विभिन्न समूहों एवं धर्मों के बीच संघर्ष|
(4) सांप्रदायिक दंगे|
(5) व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान|
(6) आर्थिक विकास में बाधक|
(7) आंतरिक अस्थिरता|
(8) पारस्परिक तनाव|
सांप्रदायिकता दूर करने के उपाय –
(1) सांप्रदायिक संगठनों को पूर्णतः प्रतिबंधित कर देना चाहिए|
(2) राजनीति करने वाले लोगों एवं दलों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए|
(3) सांप्रदायिक दंगों एवं भड़काऊ भाषण देने वालों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए|
(4) उचित शिक्षा द्वारा सभी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए|
(5) सभी के लिए रोजगार एवं व्यवसाय की उचित व्यवस्था होनी चाहिए|
(6) सांप्रदायिक संगठनों को दी जाने वाली सुविधाएं समाप्त कर देनी चाहिए|
(7) लोगों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए|
(8) लोगों में नैतिकता, मानववाद एवं शिक्षा का प्रसार करना चाहिए|
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