भारत एक बहु-सांस्कृतिक एवं बहु-धर्मी देश है| भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक की कोई परिभाषा नहीं दी गई है| लेकिन अनुछेद 29 एवं 30 में अल्पसंख्यक वर्ग के लिए अधिकार दिए गये हैं जिससे स्पष्ट होता है कि धर्म एवं भाषा को अल्पसंख्यक का आधार माना गया है|
धार्मिक आधार पर मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन फारसी अल्पसंख्यक हैं जिनमें मुस्लिम सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है|
धर्म आधारित जनगणना – 2011
हिंदू - 79.8%, मुस्लिम - 14.2%, ईसाई - 2.3%, सिक्ख - 1.7%, बौद्ध - 0.7%, जैन - 0.4%
राज्यवार अगर हम देखें तो सबसे अधिक हिंदू जनसंख्या प्रतिशत हिमाचल प्रदेश (95.17%) एवं सबसे कम मिजोरम (2.75%) में है |
सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य/केंद्र शासित प्रदेश – लक्षद्वीप (96.58%) , जम्मू एवं कश्मीर (68.31%)
सर्वाधिक ईसाई जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य – नागालैंड( 87.93%) इसी तरह सिक्खों की सबसे अधिक जनसंख्या प्रतिशत पंजाब में, बौद्धों की सिक्किम में एवं जैन की महाराष्ट्र में है|
इस तरह हम देखते हैं कि जो धर्म एक राज्य में बहुसंख्यक है वही दूसरे राज्य में अल्पसंख्यक है|
भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की समस्याएँ (Problems of Muslim Minorities in India)
(1) सांप्रदायिक दंगे|
(2) बेरोजगारी|
(3) आधुनिकीकरण एवं शिक्षा का अभाव|
(4) अधिक जनसंख्या|
(5) असुरक्षा का भाव|
(6) आर्थिक पिछड़ापन|
(7) अलगाववाद की समस्या|
(8) समान सिविल संहिता (Common Civil Code) की समस्या|
समस्या दूर करने के सुझाव
(1) संवैधानिक दायरे में रहकर इनकी सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति में सुधार का प्रयास किया जाय|
(2) मदरसों का आधुनिकीकरण किया जाय, जिसमें रोजगारमूलक शिक्षा भी शामिल हो|
(3) ऐसे संगठन जो आरोप-प्रत्यारोप के द्वारा नफरत फैलाते हैं उन पर कठोरता पूर्वक अंकुश लगाया जाय|
रजनी कोठारी अपनी पुस्तक कम्यूनलिज्म इन इंडियन पॉलिटिक्स (Communalism in Indian Politics) में विचार व्यक्त करते हैं कि बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक के बँटवारे ने ही भारत में अन्तरधार्मिक संचार को विकृत किया है| बहुसंख्यक की अवधारणा पूरी तरह दोषपूर्ण है| भारत में केवल ईसाई, मुस्लिम ही अल्पसंख्यक नहीं बल्कि इसमें जनजाति एवं हिंदुओं के हिस्से भी शामिल हैं| अल्पसंख्यक की अवधारणा ने ही धार्मिक अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना विकसित की है| असुरक्षा की भावना ही इनमें पायी जाने वाली आक्रामकता एवं अति-आक्रामकता का कारण है|
अल्पसंख्यको के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
(1) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (1) एवं (2) धर्म के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव कर रोक लगाता है|
(2) अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक वर्ग को भाषा लिपि एवं संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है|
(3) अनुछेद 30 – अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी रुचि के अनुसार शिक्षण संस्थाओं की स्थापना का अधिकार है|
(4) सन् 2005 में अल्पसंख्यक के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 15 सूत्री (15 Points) कार्यक्रम शुरू किया गया जिसमें शिक्षा के अवसर में बढ़ावा देने से लेकर स्वरोजगार तक की योजनाएं शामिल हैं|
(5) अल्पसंख्यक आयोग के गठन के लिए 1978 में गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव पास किया था, लेकिन सन् 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम में इसे वैधानिक दर्जा दिया गया एवं 1993 में पहला वैधानिक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया| जिसमें पाँच समुदाय मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी को अल्पसंख्यक माना गया| सन् 2014 में जैन समुदाय को भी इसमें शामिल कर लिया गया|
अल्पसंख्यक आयोग के कार्य
(1) अल्पसंख्यकों के विकास का मूल्यांकन करना|
(2) कानून एवं संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को प्राप्त सुरक्षा की मॉनिटरिंग एवं संबंधित अनुशंसा करना|
(3) अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभाव का अध्ययन एवं इसे दूर करने की अनुशंसा करना|
(4) कोई मामला जिसे केंद्र सरकार आयोग को सुपुर्द करे|