वैयक्तिक अध्ययन पद्धति (Case study Method in Hindi)| vaiyaktik adhyayan paddhati

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति (Case study Method)

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का तात्पर्य किसी इकाई का, जो व्यक्ति, संस्था, घटना कुछ भी हो सकता है, का समग्र अध्ययन है|

यह पद्धति किसी इकाई के विशेष पहलु या सम्पूर्ण इकाई के सम्बन्ध में आंकड़ो का संकलन एवं विश्लेषण है| अपने दृष्टिकोण में वैयक्तिक अध्ययन मुख्यतः गुणात्मक पद्धति का प्रयोग करता है| question- वैयक्तिक अध्ययन पद्धति कहते हैं? वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के गुण एवं दोष?

गुडे एवं हैट के अनुसार यह एक ऐसी विधि है जो किसी इकाई को उसके सम्पूर्ण रूप में देखती है|

वैयक्तिक अध्ययन की आधारभूत मान्यताएं

1. मनुष्य के व्यवहारों में भिन्नता के बावजूद कुछ न कुछ समानताएं होती हैं|

2. यदि किसी विशेष परिस्थिति में व्यक्ति या समूह का व्यवहार मालूम कर लिया जाता है| तो उसी परिस्थिति में अन्य स्थानों पर भी व्यक्ति समान व्यवहार करता है|

3. किसी समस्या की समझ सर्वांगीण अध्ययन के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है|

4. मानवीय व्यवहार इतना जटिल है कि इसका सम्पूर्णता में अध्ययन कर ही इसके बारे में यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है|

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की कार्य प्रणाली (working procedure of case study method)

1. समस्या की संक्षिप्त विवेचना

(i) केस का चुनाव

(ii) इकाइयों के प्रकारों का उल्लेख जैसे- व्यक्ति, परिवार, समूह आदि

(iii) केस की संख्या का निर्णय

(iii) विश्लेषण का क्षेत्र

2. घटनाओं के अनुक्रम एवं कारकों के सम्बन्ध में तथ्य संग्रह- इसमें इकाइयों की विशेषता, पृष्ठभूमि, इतिहास एवं निर्धारक कारकों का विवरण प्रस्तुत किया जाता है|

3. कारकों का विश्लेषण- तथ्य संग्रह के पश्चात इस बात का विश्लेषण किया जाता ही की कौन करक कितना प्रभावपूर्ण है| कौन सामान्य कारक है और कौन विशिष्ट|

4. उपकल्पना, परीक्षण, निष्कर्ष एवं सुझाव-

अंत में विश्लेषण के आधार पर उपकल्पना का परीक्षण कर एक सामान्य निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है| प्रायः ‘केस’ समस्यामूलक इकाइयों का गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है| जिसके समाधान के लिए भी अनुसंधानकर्ता अपने सुझाव प्रस्तुत करता है|

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के गुण /लाभ / विशेषताएं (merits of case study method)

कूले ने इस अध्ययन पद्धति के महत्त्व को व्यक्त करते हुए लिखा है की “वैयक्तिक अध्ययन विधि हमारे बोध ज्ञान को विकसित करती है, और जीवन के बारे में एक स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करती है”| वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के लाभ या महत्त्व को निम्न विन्दुओं में देखा जा सकता है|

1. गहन एवं सर्वांगीण अध्ययन-

इस अध्ययन पद्धति से समाज की किसी इकाई या इकाइयों का सम्पूर्ण एवं सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है| इसके द्वारा इकाई, समस्या अथवा किसी घटना के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है| साथ ही किसी समस्या का जल्द समाधान हो जाता है|

2. अन्वेषणात्मक शोध एवं उप- कल्पना निर्माण में उपयोगी- शोधकर्ता जब इस पद्धति का उपयोग कर समस्या का सूक्ष्म अध्ययन करता है तो उसे कुछ नए तथ्य प्राप्त हो जाते हैं| जिसकी सहायता से उपकल्पना का निर्माण कर अध्ययन को नया आयाम प्रदान करते हैं|

3. परिवर्तन एवं प्रकृति के विश्लेषण में सहायक-

4. मनोवैज्ञानिक अध्ययन में उपयोगी- मनोवैज्ञानिक समस्याए व्यक्ति या समाज की परिस्थितियों का परिणाम होती है| इस पद्धति द्वारा समस्याओं का गहन अध्ययन कर परिस्थितियों को समग्रता में समझा जाता है| परिस्थितियों की समझ समस्याओ को समझने एवं निदान करने में सहायक होती हैं|

5. सामान्यीकरण का आधार- इसके आधार पर उप्कल्पनाओं का परीक्षण एवं सिद्धांतों का सत्यापन किया जाता है|

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के दोष (demerits of case study method)

1. सीमित सामान्यीकरण-

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के द्वारा छोटी इकाई का अध्ययन किया जाता है| इसके आधार पर पूरे समाज के बारे में सामान्य निष्कर्ष निकल दिया जाता है| कभी-कभी एक छोटी सी इकाई समग्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाती| इस तरह किसी समस्या के बारे में यथार्थ जानकारी नहीं मिल पाती|

2. अधिक समय|

3. प्रयुक्त वैयक्तिक आंकड़ो का दोष- इस अध्ययन पद्धति में सूचनाओ के लिए अनेक श्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है, जैसे- जीवन इतिहास, पत्र, डायरी आदि| इन श्रोतों की सत्यता स्वयं संदेह में रहती है| ऐसे में यथार्थ जानकारी नहीं मिल

4. तुलनात्मकता का अभाव|

5. ठोस परिणामो का अभाव|

6. अत्यधिक व्यय – वैयक्तिक अध्ययन पद्धति इकाई का सम्पूर्णता में अध्ययन करती है, इसलिए यह अधिक खर्चीली है|

समाजशास्त्र में वैयक्तिक अध्ययन का उपयोग

वैयक्तिक अध्ययन का प्रयोग चिकित्सकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाजशास्त्रियों मानवशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिक तथा अन्य विभिन्न प्रकार के लोगों द्वारा विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है| विशिष्ट एवं समस्यामूलक इकाइयों के अध्ययन में समाजशास्त्रियों ने इस पद्धति का विशेष प्रयोग किया है| पारिवारिक एवं सामुदायिक विघटन के अध्ययन में इस विधि का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है|

ऑस्कर लेविस ने ‘फाइव फैमिलीज़’ में परिवारों का अध्ययन वैयक्तिक अध्ययन पद्धति द्वारा किया| राबर्ट रेडफील्ड, एस. सी. दूबे, एम. एन. श्रीनिवास आदि ने विभिन्न गाँवों को इकाई मानकर इसी अध्ययन पद्धति से विस्तृत अध्ययन किया| लिंड द्वारा मिडिलटाउन , लॉएड वार्नर का ‘सोशल लाइफ ऑफ़ ए मॉडर्न कम्युनिटी’ का अध्ययन वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के द्वारा किया गया|

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