अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class)


अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class)

Other Backward Class एक बृहद अवधारणा है| पिछड़े वर्ग में मुख्यत: उन जातियों को शामिल करता है जो उच्च जातियों के रूप में नहीं जानी जाती है तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति की श्रेणी में भी नहीं आती है|

स्पष्ट है कि अन्य पिछड़ा वर्ग उच्च जातियों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के मध्य का समूह है| संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत एक पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रावधान है जिसके तहत पिछड़ी जातियों की पहचान का कार्य किया जा सकता है| इसी प्रावधान के अंतर्गत 1953 में काका कालेलकर की अध्यक्षता में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया|

दूसरे पिछड़ा वर्ग आयोग का ऑफिशियली गठन 1979 में किया गया| जिसके अध्यक्ष बी. पी. मण्डल थे| मण्डल आयोग ने सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की| जिसे 1990 में बी.पी. सिंह की सरकार ने लागू कर दिया|

मंडल आयोग ने सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक आधार पर पिछड़ी जातियों की पहचान की थी| लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संविधान सम्मत् न होने के कारण आर्थिक आधार को आरक्षण के लिए एक आधार मानने से इनकार कर दिया|

सर्वप्रथम 1937 में ट्रॉवनकोर राज्य में शैक्षणिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के समूह को आरक्षण देने के लिए पिछड़ा समुदाय शब्द का प्रयोग हुआ था| सामाजिक स्तर पर पिछड़े वर्गों के लिए अनेक आंदोलन चलाए गए जिसमें ज्योतिबा फुले ने 1873 में सत्य शोधक समाज की स्थापना की इसका उद्देश्य निम्न जाति एवं महिलाओं से संबंधित सामाजिक प्रतिबंध को समाप्त करना था|

दक्षिण भारत में इस आंदोलन का श्रेय ई. वी. रामास्वामी नाइकर को जाता है जिन्हें पेरियार के नाम से भी जाना जाता है| उन्हें द्रविड़ राष्ट्रवाद का प्रणेता कहा जाता है| इन्होंने आत्म-सम्मान आंदोलन चलाया| बाद में वे जस्टिस पार्टी से जुड़ गए और इसका नाम बदलकर द्रविड कडगम नाम राजनीतिक दल बनाया है|

केरल में एस.एन.डी.पी.(S. N. D. P.) श्री नारायण धर्म परिपालन को प्रमुख आंदोलन के रुप में जाना जाता है, इसके जन्मजाता श्री नारायण गुरू ब्राह्मण जाति के थे|

Objective Type Questions


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