सामाजिक नियंत्रण (Social Control)

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सामाजिक नियंत्रण वह क्रियाविधि है जिसके द्वारा एक समाज अपने सदस्यों एवं समूह के व्यवहार का नियमन (regulation) करता है| वस्तुतः व्यक्ति अधिक से अधिक अधिकार एवं सुविधाएं प्राप्त करना चाहता है, जिसके लिए समाज स्वीकृत साधन उपलब्ध होते हैं| लेकिन कभी-कभी अपनी इच्छाओं एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ व्यक्ति अनुचित एवं समाज विरोधी तरीके को अपनाते हैं, इससे समाज में अव्यवस्था फैल जाती है एवं समाज विघटन का शिकार होने लगता है| इस स्थिति से बचने के लिए एवं उत्पन्न संकट से निपटने के लिए सामाजिक नियंत्रण की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है|
समूह के स्तर पर सामाजिक व्यवस्था तथा व्यक्तिगत स्तर पर अनुरूपता को बनाए रखने के लिए जो भी प्रयास किए जाते हैं, उसे सामाजिक नियंत्रण कहते हैं| सामाजिक नियंत्रण के अंतर्गत समाज द्वारा स्वीकृत प्रतिमानो एवं व्यवहारों का पालन करने वालों को प्रोत्साहित तथा उल्लंघन करने वालों को दण्डित किया जाता है| इस तरह सामाजिक नियंत्रण पुरस्कार एवं दण्ड दोनों को समाहित करता है|

अमेरिकी समाजशास्त्री इ.ए. रॉस (E.A. Ross) ने 1901 में सोशल कंट्रोल (Social Control) नामक पुस्तक में सामाजिक नियंत्रण की अवधारणा की विस्तृत चर्चा की| उनके अनुसार सामाजिक नियंत्रण का तात्पर्य उन सभी शक्तियों से है, जिनके द्वारा समुदाय व्यक्ति को अपने अनुरूप बनाता है|
मिशेल के अनुसार सामाजिक नियंत्रण का कार्य अनुरक्षण से है, यह अनुरक्षण, प्रथम- समाजीकरण तथा दूसरा- वाह्य दबाव के द्वारा होता है|

अॉगबर्न एवं निमकॉफ (Ogburn and Nimkoff) ने अपनी पुस्तक ए हैंड बुक ऑफ सोशियोलॉजी (A Handbook of Sociology) में लिखते हैं कि दबाव का वह प्रतिमान जिसे समाज द्वारा व्यवस्था बनाए रखने और नियमों को स्थापित रखने के उपयोग में लाया जाता है, सामाजिक नियंत्रण कहा जाता है|

सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रिया (Process of Social Control)

सामाजिक नियंत्रण की शुरुआत समाजीकरण से होती है, जिसमें बच्चा या व्यक्ति समाज के मूल्यों एवम् प्रतिमानों को सीखता है तथा उसी के अनुरूप व्यवहार करता है| इसलिए फिचर (Fichter) कहते हैं कि सामाजिक नियंत्रण समाजीकरण की प्रक्रिया का विस्तार है|

अधिकतर समाजशास्त्री सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रिया को दो भागों में विभाजित करते हैं –

(1) मूल्यों एवम् प्रतिमानो का अंतरीकरण (Internalization of Values and Norms) – इसका तात्पर्य समाजीकरण के दौरान समाज स्वीकृत नियमों एवं आदर्शों को सीखना है| सीखने के दौरान विरोधी मूल्यों की उपस्थिति में भी सकारात्मक मूल्यों से व्यक्ति जुड़े रहता है| अतः यह आत्म नियंत्रण भी हो जाता है|

(2) अनुशस्तियों का प्रयोग (Use of Sanctions) – अनुशस्तियों का तात्पर्य पुरस्कार एवं दण्ड से हैं| इसके अंतर्गत समाज की एकरूपता एवं व्यवस्था बनाए रखने में योगदान देने वालों को पुरस्कार एवं समाज विरोधी कार्य करने वालों को दण्ड देना शामिल है|

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सामाजिक नियंत्रण का महत्त्व (Importance of Social Control)

(1) सामाजिक संगठन का स्थायित्त्व बना रहता है|

(2) व्यक्ति एवं समूह अनुशासित रहता है|

(3) समूह में एकता बनी रहती है|

(4) समाज के सदस्यों में परस्पर सहयोग रहता है|

(5) प्रथाओं एवं परम्पराओं की सातत्यता (Continuity) बनी रहती है|

(6) सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा एवं निरंतरता बनी रहती है|

(7) समूह में एकरूपता बनी रहती है|

(8) सामाजिक नियंत्रण सामाजिक परिवर्तन में भी सहायक होता है, जैसे – छुआछूत, बाल -विवाह, दहेज प्रथा आदि को रोकने के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है|

सामाजिक नियंत्रण के प्रकार (Types of Social Control)

फिचर (Fichter) ने तीन प्रकार के सामाजिक नियंत्रण की चर्चा की –

(1) सकारात्मक एवं नकारात्मक सामाजिक नियंत्रण (Positive and Negative Social Control) – अनुनय-विनय, सलाह, शिक्षा, पुरस्कार आदि के द्वारा सकारात्मक सामाजिक नियंत्रण किया जाता है, जबकि आदेश, दण्ड, निन्दा, जुर्माना, कारावास, मजाक उड़ाना आदि द्वारा नियंत्रण नकारात्मक सामाजिक नियंत्रण कहलाता है|

(2) औपचारिक तथा अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Formal and Informal Social Control) – औपचारिक सामाजिक नियंत्रण लिखित होने के कारण निश्चित होता है| इसमें निश्चित नियम एवं कानून होते हैं, जो राज्य या सरकार द्वारा निर्धारित होते हैं| पुलिस, जेल, न्यायालय आदि औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के उदाहरण हैं|

अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण अलिखित एवं अनिश्चित होते हैं, इसे लागू करने का उत्तरदायित्त्व समाज के सभी व्यक्तियों को होता है| अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण में प्रथा, लोकाचार, परम्परा, विश्वास, जनमत, धर्म आदि सम्मिलित हो जाते हैं|

(3) सामूहिक तथा संस्थागत सामाजिक नियंत्रण (Group and Institutional Social Control) – सामूहिक सामाजिक नियंत्रण में व्यक्तियों अर्थात् बहुसंख्यक के विचार की प्राथमिकता होती है| इसमें स्पष्ट नियमों का अभाव पाया जाता है, जबकि संस्थागत नियंत्रण में व्यक्तियों की जगह नियमों की प्रधानता होती है| इसमें संख्या बल का महत्त्व नहीं होता| नियम सबके लिए समान होते हैं|

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कार्ल मैनहाइम ने अपनी पुस्तक माइण्ड एण्ड सोसाइटी (Mind and Society) में दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष की चर्चा की –

(1) प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण (Direct Social Control) – प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण आमने-सामने (Face to Face) होता है, जैसे – माता -पिता, मित्रों, गुरुजनों आदि के द्वारा नियंत्रण|

(2) अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण (Indirect Social Control) – विभिन्न समूहों एवं संस्थाओं द्वारा लागू किया जाने वाला नियंत्रण अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण कहलाता है, जैसे – राज्य ने दहेज निरोधक अधिनियम, 1961 द्वारा दहेज लेने एवं देने दोनों पर नियंत्रण स्थापित किया है|

कूले, दुर्खीम तथा बरनार्ड ने दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण की चर्चा की –

(1) चेतन सामाजिक नियंत्रण (Concious Social Control) – नियमों को लागू करते समय जब उसकी उपयोगिता एवं लाभ को भी ध्यान में रखा जाता है तो उसे चेतन सामाजिक नियंत्रण कहते हैं, जैसे प्रथा, कानून आदि|

(2) अचेतन सामाजिक नियंत्रण (Unconcious Social Control) – जिन नियमों का व्यक्ति स्वतः ही पालन करता है एवं वह नियम उसके सामान्य जीवन का अंग बन जाता है, उसे चेतन सामाजिक नियंत्रण कहते हैं, जैसे – संस्कार, धार्मिक विश्वास आदि|

बोटोमोर (Bottomore) ने दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण का उल्लेख किया है –

(1) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण (Direct and Indirect Social Control)

(2) संगठित एवं असंगठित सामाजिक नियंत्रण (Organised and unorganised Social Control)

किम्बाल यंग (Kimball Young) ने दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण की चर्चा की –

(1) सकारात्मक सामाजिक नियंत्रण (Positive Social Control)

(2) नकारात्मक सामाजिक नियंत्रण (Negative Social Control)

गुरविच एवं मूर (Gurvich and Moore) ने तीन प्रकार के सामाजिक नियंत्रण का उल्लेख किया है –

(1) संगठित (Organised)
(2) असंगठित ( Unorganised)
(3) स्वतः (Automatic)

लैपियर (Lapierre) ने दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण का उल्लेख किया है –

(1) तानाशाही सामाजिक नियंत्रण (Autocratic Social Control)

(2) जनतांत्रिक सामाजिक नियंत्रण (Democratic Social Control)

पी.सी. हेज (P.C. Hayes) ने दो प्रकार के सामाजिक नियंत्रण का उल्लेख किया

(1) अनुशस्तियों द्वारा सामाजिक नियंत्रण (Social Control by Sanctions)

(2) सुझाव एवं अनुकरण द्वारा सामाजिक नियंत्रण (Social Control by immitation and advise)

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