कॉम्टे का त्रिस्तरीय नियम
(Comte’s Law of three stages)

[wbcr_php_snippet id=”362″ title=”before_post_ad_unit”]

कॉम्टे के अनुसार बौद्धिक विकास सामाजिक परिवर्तन का सबसे महत्वपूर्ण कारक है| उन्होंने अपनी पुस्तक दी कोर्स इन पॉजिटिव फिलोसोफी (The Course in Positive Philosophy) में सामाजिक उद्विकास के त्रिस्तरीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया| यहां बौद्धिक विकास का तात्पर्य विचारों में होने वाले परिवर्तन से है| उद्विकासीय चिंतक होने के नाते कॉम्टे ने व्यक्ति और समाज के प्रगतिवादी विकास को तीन निश्चित स्तरों में विभाजित किया इसे काम्टे के त्रिस्तरीय नियम (Law of Three Stages) के नाम से जाना जाता है| कॉम्टे के अनुसार बौद्धिक विकास के साथ सामाजिक विकास भी होता है| यह तीन स्तर निम्न है –

धार्मिक स्तर (Theological or Fictitious Stage)

बौद्धिक विकास के इस स्तर पर लोग यह विश्वास करते हैं कि सभी घटनाएं किसी दैवीय (divine) या अति-प्राकृतिक (Super-natural) शक्तियों द्वारा संचालित होती है| इस विश्वास के भी तीन उप-स्तर हैं –
जीवित सत्तावाद (Fetishism) – यह धर्म की उत्पत्ति का प्रारंभिक स्वरूप था, इसमें व्यक्ति प्रकृति एवं वस्तुओं की पूजा करता था|

बहुदेववाद (Polytheism) – इस स्तर पर व्यक्ति विभिन्न देवी-देवताओं की कल्पना करता है तथा प्रत्येक को किसी न किसी विशेष घटना से संबंधित मानता है, जैसे – इंद्र वर्षा के देवता|

एकेश्वरवाद (Monotheism) – इस स्तर पर यह माना जाता था कि ईश्वर एक ही है सिर्फ उसके विभिन्न नाम है|

वास्तव में धार्मिक स्तर पर विज्ञान एवं तकनीक विकसित न होने एवं ज्ञान की कमी के कारण व्यक्ति पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर था एवं जीवन की प्रत्येक घटना को ईश्वर या प्राकृतिक शक्तियों का परिणाम मानता था|

[wbcr_php_snippet id=”367″ title=”in_post_ad”]

तात्त्विक स्तर (Metaphysical Stage)

कॉम्टे के अनुसार इस स्तर पर धार्मिक स्तर के विचार में कुछ परिवर्तन आता है तथा अलौकिक शक्ति में विश्वास कुछ कम हुआ है| मनुष्य मानने लगा है कि समस्त घटनाएँ केवल अलौकिक शक्ति का परिणाम नहीं है| बल्कि यह महसूस करता है कि प्रत्येक मनुष्य में भी कुछ ऐसी शक्तियाँ हैं जो उसके क्रियाओं को नियंत्रित करती है| बौद्धिक विकास के इस स्तर पर धर्म एवं विज्ञान दोनों का समन्वय दिखाई देता है|

प्रत्यक्ष या वैज्ञानिक स्तर (Positive or Scientific Stage)

इस स्तर पर मनुष्य सामाजिक घटनाओं का कारण ईश्वर, धर्म या अलौकिक शक्ति को नहीं मानता| बल्कि तर्क एवं विज्ञान का महत्त्व बढ़ने के कारण प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानता है, अर्थात जो दिखाई दे रहा है वही सत्य है| यह स्तर वर्तमान समय का है| मनुष्य का बौद्धिक विकास उच्च स्तर का हो गया है जिससे वह प्रत्येक घटना के कार्य-कारण संबंधों को जानने का तार्किक प्रयास करता है| तथ्यों की व्याख्या तर्क, अवलोकन आदि के आधार पर करने की कोशिश करता है|

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि कॉम्टे का बौद्धिक विकास से समाज में परिवर्तन का त्रिस्तरीय सिद्धांत महत्वपूर्ण है| क्योंकि बौद्धिक विकास अर्थात विचारों में परिवर्तन से ही लोगों के कार्यों में भी परिवर्तन होता है और इसी आधार पर समाज एक अवस्था से दूसरे उच्चतर अवस्था को प्राप्त करता है|

[wbcr_html_snippet id=”868″ title=”post_footer”]


[wbcr_php_snippet id=”364″ title=”after_post_ad_unit”]

4 thoughts on “<center>कॉम्टे का त्रिस्तरीय नियम <br/>(Comte’s Law of three stages)</center>”

Leave a Comment

error: