सामाजिक स्थिति-विज्ञान एवं सामाजिक गति-विज्ञान

सामाजिक स्थिति-विज्ञान एवं सामाजिक गति-विज्ञान (Social Statics and Social Dynamics)

कॉम्टे ने समाजशास्त्र को व्याख्यायित करने के लिए सामाजिक स्थिति-विज्ञान एवं गति-विज्ञान की चर्चा की| सामाजिक स्थितिकी का सम्बन्ध  सामाजिक संरचना से है; जबकि सामाजिक गतिकी का सम्बन्ध प्रकार्य से है|

कॉम्टे द्वारा समाजशास्त्र का विभाजन

कॉम्टे ने समाजशास्त्र को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया|

1. सामाजिक स्थिति विज्ञान (Social Statics)

सामाजिक स्थितिकी शास्त्र का तात्पर्य सामाजिक संरचना से है; जो तुलनात्मक रूप से स्थायित्व को दर्शाता है| कॉम्टे के अनुसार समाजशास्त्र के स्थितिशास्त्रीय अध्ययन का तात्पर्य सामाजिक व्यवस्था के विभिन्न अंगों की क्रिया-प्रतिक्रिया से सम्बंधित नियमों को ज्ञात करना है|

बोगार्डस लिखते हैं की सामाजिक स्थिति-विज्ञान सामाजिक व्यवस्था के विभिन्न अंगों की क्रिया और प्रतिक्रिया से सम्बंधित नियमों का अध्ययन है|

सामाजिक स्थिति-शास्त्र में परिवार, धर्म, भाषा, संपत्ति आदि का अध्ययन किया जाता है|

2. सामाजिक गति-विज्ञान (Social Dynamics)

सामाजिक गतिकी के अंतर्गत समाज के अंगों की क्रियाशीलता एवं प्रगति का अध्ययन किया जाता है| इसे ही प्रकार्य कहते हैं| इसके अंतर्गत वे निश्चित नियम सम्मिलित हो जाते हैं; जो समाज के अंगो के विकास या परिवर्तन के लिए उत्तरदायी हैं|

जिस तरह प्रकार्य के बिना सामाजिक संरचना महत्वहीन हो जाती है; उसी तरह सामाजिक गतिकी के बिना सामाजिक स्थितिकी का औचित्य सिद्ध नहीं हो पाता|  

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